वीडियो जानकारी: 30.07.23, संत सरिता, गोवा
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने जीवन के सहज आनंद और आध्यात्मिकता के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने बताया कि अक्सर लोग अध्यात्म को कठोरता और त्याग के रूप में समझते हैं, जिससे वे अपनी जीवन की छोटी-छोटी खुशियों को भी छोड़ देते हैं। आचार्य जी ने कहा कि हमें उन चीजों को छोड़ने की आवश्यकता नहीं है जो हमारे जीवन में आनंद लाती हैं।
उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे लोग खेलना, घूमना, और सामान्य बातचीत को त्याग देते हैं, जबकि ये सभी जीवन के आनंद का हिस्सा हैं। आचार्य जी ने यह भी बताया कि अध्यात्म का असली मतलब अपने आप को दंडित करना नहीं है, बल्कि जीवन के सरल सुखों का आनंद लेना है।
आचार्य जी ने यह स्पष्ट किया कि हमें अपने जीवन में संतुलन बनाना चाहिए और उन चीजों को अपनाना चाहिए जो हमें खुशी देती हैं, बजाय इसके कि हम बिना सोचे-समझे त्याग करें।
प्रसंग:
~ एक ताकतवर ज़िन्दगी कैसे जियें?
~ अपनी आंतरिक शक्ति को उजागर कैसे करें?
~ पुरानी आदतें वापस सताने आए तो क्या करें?
~ अध्यात्म में वैराग्य का असली अर्थ क्या है?
~ किसी भी चीज़ को पूरी तरह से जीवन से कब निकालना चाहिए?
संगीत: मिलिंद दाते
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